राम, हमारे भारत के लाडले मर्यादा पुरुषोत्तम.
देवोंके देव महादेव भी श्री विष्णु के राम अवतार की ही पूजा करते है, नित्य राम नाम का जाप करते है. जैसे श्री राम
स्वयं शिवभक्त है वैसेही भोलेनाथ शिव शम्भो श्री राम के भक्त है - रामजी का त्याग, प्रेम, तपस्या, बल, उदारता, करुणा, मर्यादापुरुषोत्तम होना, एक उत्तम पुत्र, राजा, मित्र, पति, भाई, शिष्य होना - उनको महामानव बना देता है.
रामायण
भारत के संस्कृति की अनमोल धरोहर है. ऐसा बंधुप्रेम, ऐसी पितृ सेवा और ऐसा त्यागमय राजसी जीवन पुरे
विश्व में अनूठा है.
श्री
रामानंद सागर जी का रामायण भले ही अस्सी के दशक का हो, भले ही तंत्रज्ञान के हिसाब से पुराना हो, भले ही आज कल के करोडो रुपयों के बजट और स्पेशल
इफेक्ट्स उस में न हो - पर जो भाव, जो प्रेम, जो करुणा और भक्ति रस उसमे झलकता है - वो अनुपम है, पवित्र है, और इसीलिए हम भारतीयों को वह प्रिय है.
पुत्र
का कर्त्तव्य,
माता
पिता का प्रेम,
भाई
भाई का प्रेम और त्याग, पत्नी का सतीत्व और सेवा, पति पत्नी का प्रेम और विश्वास, मित्र सेवक गुरु शिष्य प्रजा इन सबका एक दूसरे
पे प्रति कर्त्तव्य निभाना, और हमेशा निति धर्म सत्य के लिए खुद के स्वार्थ को भूल कर कर्म करना
बहोत ही प्रेरणादाई है.
चाहे
वो केवट हो या शबरी, चाहे
प्यारे हनुमानजी हो या फिर जटायु या सम्पाती, चाहे वो माता सीता की राक्षसी सखी त्रिजटा हो
या फिर बिभीषन,
चाहे
वो मित्र निषाद राज हो या फिर उर्मिला, मांडवी, श्रुतिकीर्ति, इन सभी का भोलापन, निष्पाप प्रेम और त्याग रामायण को रामायण बनाता
है.
हे
राम, हे माँ जानकी, हे भैया लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, अंजनेय
हनुमानजी - हे गौरी शंकर - हमारे भारत को हमेशा महागाथा रामायण का स्मरण रहे, और धर्म, निति, प्रेम, त्याग
और सनातन मूल्यों की ये धरोहर हमेशा समूचे विश्व का मार्गदर्शन करती रहे.
जय श्री राम